रावण दशरथ युद्ध। Ravan dashrath yudh.

रावण और दशरथ युद्ध।(ravan or dashrath yudh )

राजा दशरथ जी। (dashrath ji)

रावण दशरथ युद्ध :-

जब रावण ने  ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करके तीनों लोको को जीतने के लिए निकला और रावण ने पृथ्वी के सभी राज्य को जीतने के बाद बस एक राज्य बचा था, अयोध्या जहां के राजा दशरथ थे।
रावण ने राजा दशरथ के पास अपना एक दूत भेजा और कहा कि जाओ तुम राजा दशरथ के पास और उनसे कहना की तुम्हें दशानन रावण युद्ध के लिए ललकार रहा है, अगर तुम्हें किसी प्रकार का भय है  या  युद्ध नहीं करना चाहते हो तो तुम रावण के आगे सिर झुका कर तुम्हारा मुकुट दशानन रावण के चरणों में रख दो। रावण का यह संदेश लेकर रावण का दूत दशरथ कि राज्यसभा में पहुंचा और कहा कि अयोध्या के राजा दशरथ मैं  दशानन रावण का संदेश लेकर आया हूं। दशानन रावण तुम्हें युद्ध के लिए ललकार रहे है। और दशानन रावण का एक प्रस्ताव और है अगर आप युद्ध करना नहीं चाहते हो और अपने राज्य को सुरक्षित रखना चाहते हो अथवा शांति चाहते हो तो अपना मुकुट दशानन रावण के चरणों में रख दो जिससे तुम्हारा राज्य भी बच जाएगा और तुम्हारा राज रावण की शरण में रहेगा।

यह सुनकर दशरथ ने कहा कि हम रघुवंशी ने किसी के आगे झुकना नहीं सीखा है और ना कभी युद्ध से भागना सीखा है ना कभी भागे हैं और हमें हमारे राज्य की रक्षा करना आता है। तुम जाओ दशानन रावण से कह देना कि वह युद्ध के लिए तैयार रहें राजा दशरथ अब उनसे युद्ध क्षेत्र में ही मिलेंगे। रावण का दूत रावण के पास पहुंचा और कहा कि दशानन, दशरथ युद्ध करना चाहता है और कहा कि अब रणभूमि में ही मिलेंगे।

दशानन रावण और राजा दशरथ रणभूमि में आमने-सामने हो गए और दोनों की सेना युद्ध के लिए तैयार हो गई जब युद्ध का ऐलान हुआ तो रावण और दशरथ के बीच भयंकर युद्ध हुआ दोनों की सेनाएं भीषण युद्ध करने लगे दोनों ही बहुत ही प्रतापी राजा थे परंतु जब युद्ध में राजा दशरथ की सेना की संख्या कम होने लगी तब राजा दशरथ ने भगवान की आन लेकर अपने धनुष पर वाण सादा और कहा कि हे प्रभु मैंने अगर आपकी सच्चे दिल से पूजन व भक्ति की है और मैंने अपने पूर्वजों का सदैव सम्मान किया मैंने सच्चे दिल से दान और धर्म की है और कभी किसी का मन से अहित नहीं चाहा तो मेरा यह वाण रावण रूपी काल के संकट को मेरे राज्य से सदा के लिए हटा देगा।

रावण-दशरथ युद्ध।

राजा दशरथ के इन वचन को सुनकर ब्रह्मा जी दशरथ जी के पास आए और कहा कि हे चक्रवर्ती राजा दशरथ तुम अपना यह वाण रावण के ऊपर मत चलाओ इसे आकाश में छोड़ दो क्योंकि रावण की मृत्यु अभी नहीं होगी अतः तुम इस वाण को आकाश में छोड़ दो तब राजा दशरथ बोले कि है परम पिता ब्रह्मा जी अगर मैं इस वाण को आकाश में छोड़ दूंगा तो रावण जैसे काल से मेरे राज्य की रक्षा कैसे होगी, परम पिता ब्रह्मा ने कहा कि रावण को मैं समझा दूंगा तुम अपना वाण आकाश में छोड़ दो राजा दशरथ ने कहा कि ठीक है, दशरथ जी ने आकाश मे वाण छोड़ दिया।

फिर ब्रह्मा जी ने दशानन रावण को कहा कि है दशानन तुम युद्ध को विराम कर दो रावण ने कहा कि ब्रह्मदेव मैंने सारी पृथ्वी जीत ली है बस एक ही राज्य बचा इसे और जीतना है ब्रह्मा जी ने कहा कि यह राज तो तुम बिना युद्ध करे ही जीत लोगे, दशानन रावण ने कहा वह कैसे ब्रह्मदेव, ब्रह्मदेव बोले की दशरथ अब वृद्धावस्था में हैं और ना ही दशरथ की कोई संतान है दशरथ के ना होने के बाद यह राज्य बिना युद्ध करे ही तुम्हारा हो जाएगा जाओ तुम लंका लौट जाओ वहां पर तुम्हें एक शुभ समाचार मिलेगा रावन ने कहा ठीक है ब्रह्मदेव और रावण ने युद्ध को विराम करते हुए तीनों लोगों को जीतने के बाद लंका लौटने का निश्चय किया जब रावण लंका पहुंचा तो उसे मंदोदरी ने एक शुभ समाचार दिया कि वह पिता बनने वाला है तब उसके यहां पुत्र हुआ उसका वह पुत्र इंद्रजीत कहलाया।

इन दोनों राज्यों में बहुत असमानता थी राजा दशरथ बहुत ही धर्मात्मा राजा थे और कभी किसी का अहित नहीं करते थे परंतु वहीं दूसरी ओर दशानन रावण ज्ञानी तो था परंतु बहुत ही अत्याचारी और क्रूर राजा था वह सिर्फ अपने आप को ही भगवान समझता था।

कभी-कभी अधिक ज्ञानी होने के कारण जो अभिमान होता है वह व्यक्ति को विनाश की ओर ले कर जाता है इसलिए जब आपको किसी चीज का या किसी का भी ज्ञान हो तो उसका अभिमान नहीं करना चाहिए। अभिमान हमेशा स्वयं को विनाश की ओर लेकर जाता है ।
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5 Comments

  1. ek dum sahi bole he aap sarma ji

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  2. Pushpak viman jise bramha ne Apne hatho se banay tha . Yah viman apna Aakar ghta ba bada Sakta tha . Ravan ba uske 10,000 senik isi se Safar kiya karte the .isi viman k dwara Ravan ki Sena ba Ravan aaya tha .

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  3. Kuchh log kah rahe ki Bo kese aaya ya pul se aaya. To fir jano ki usne Swarg par hmla kese kiya .usi Madhyam se jesa Mene pahle comment me kaha . Seeta swambar me hissa Lene Ravana Apne seniko k sath isi viman se aaya tha .

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  4. Kaun kahta h ki dashrath ek pratapi aur dayavan raja the to kyo mara unhone Shravan Kumar ko....
    Aur unke bete ram ne baali ko chhip kr mara ye ro sabhi jante he honge ..kya aise he hote h veer , pratapi raja ???

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