वेदव्यास जी की रचना महाभारत। गणेश जी बैठाने के पीछे छिपी यह कथा। गणेश जी बैठाने की कथा। Ganesh ji ko bethane ki katha।

गणेश जी को बैठाने की कथा

श्री गणेश जी की कथा

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभा।  निर्विघ्नम कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

महर्षि वेदव्यास जी व गणेश जी द्वारा रचित महाभारत कथा।


महाभारत समाप्ति के बाद वेदव्यास जी ने महाभारत कथा की रचना करने की सोची महाभारत कथा उनके मस्तिष्क में थी, परंतु वह उसे लिखने में असमर्थ थे। तब महर्षि वेदव्यास जी ने परम पिता ब्रह्मा जी का ध्यान किया तब ब्रह्मा जी ने उन्हें दर्शन दिए, वेदव्यास जी ने ब्रह्मा जी को कहा की हे परमपिता मैं महाभारत कथा रचना चाहता हूं, मैं इसको लिखने में असमर्थ हूं ,कृपया आप इस समस्या का समाधान करने की कृपा करें।

ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया तुम गणेश जी से ही विनती करो वे विद्या बुद्धि  के  देवता है  वे ही तुम्हारी सहायता करेंगे,तब वेदव्यास जी ने गणेश जी का ध्यान किया गणेश जी ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए। वेदव्यास जी ने कहा कि हे प्रभु मैं आपके दर्शन पाकर धन्य हुआ,गणेश जी बोले मैं तुम्हारी भक्ति भाव से अति प्रसन्न हूं कहो क्या समस्या है, तब वेदव्यास जी ने कहा कि भगवान मेरे मन और मस्तिष्क में एक कथा ने जन्म लिया है, जिसे मैं महाभारत का नाम देना चाहता हूं और मैं इसे लिखित रूप देने में समर्थ नहीं हूं, आप महाभारत कथा लिखकर मेरी समस्या को दूर कीजिए। भगवान श्री गणेश जी ने कुछ समय सोचा और कहा कि ठीक है मैं महाभारत कथा लिखने के लिए तैयार हूं परंतु मेरी एक शर्त है कि आपको एक पल भी बिना रुके  बोलना होगा तब वेदव्यास जी ने कहा कि ठीक है प्रभु लेकिन आपको भी मेरे बोले हुए साभी श्लोक को भी ध्यान से समझ कर लिखना होगा, तब श्री गणेश जी ने कहा ठीक है। 
वेदव्यास जी और गणेश जी

महर्षि वेदव्यास जी और श्री गणेश जी ने महाभारत कथा बोलना व लिखना प्रारंभ किया। वेदव्यास जी जो श्लोक बोल रहे थे गणेश जी उन्हें जल्दी जल्दी समझ कर लिख रहे थे। तब वेदव्यास जी ने सोचा की गणेश जी  श्लोक को जल्दी-जल्दी समझ कर लिख रहे हैं।तब वेदव्यास जी ने कठिन श्लोक बोलना प्रारंभ किया जिन्हें गणेश जी को समझने में कुछ समय लगता है फिर वह लिखते हैं, जिससे वेद व्यास जी को कुछ समय मिल जाता दूसरे श्लोक बोलने के लिए।

महाभारत काव्य इतना बड़ा था कि महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी ने 10 दिन तक बिना कुछ खाए और बिना रुके निरंतर लिखते रहे, दसवे दिन जब महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत कथा पूर्ण होने के बाद आंखें खोली तो गणेश जी के शरीर का ताप बहुत अधिक बढ़ गया यह देख महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी को गीली मिट्टी का लेप लगाया लेप लगाने के बाद भी गणेश जी के शरीर का ताप कम नहीं हुआ तो उन्होंने एक जल से भरे बड़े पात्र में गणेश जी को बैठाया तब श्री गणेश जी के शरीर का ताप कम हुआ

जिस दिन वेद व्यास जी गणेश जी को लेने गए थे, उस दिन भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी और जिस दिन महाभारत कथा को पूर्ण किया उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी थी।

अतः तब  से हम भगवान श्री गणेश जी को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक बिठाते हैं ।इस बीच गणेश जी की पूजा पाठ करते हैं और हम चतुर्दशी के दिन  भगवान श्री गणेश जी को जल में प्रवाहित करते हैं।

1 Comments

  1. लेकिन महाभारत को पूरा लिखने में तो 3 साल का समय लगा था

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