बुधवार व्रत कथा। Budhwar vrat katha.

श्री गणेश जी की कथा
Budhwar vrat katha, Ganesh vrat katha, वुधबार व्रत कथा
Budhwar vrat katha Ganesh katha


Budhwar vrat katha, बुधवार व्रत कथा :-

एक बार गणेश जी महाराज एक सेठ के खेत से निकल रहे थे तो उनके हाथ से अनाज के बारह दाने टुट गये। तभी गणेश जी के मन मैं विचार आया की मेरे हाथ सेठ का नुकसान हो गया तो में सेठ जी के यहां बारह वर्ष तक नौकरी करूँगा। श्री गणेश जी महाराज सेठ जी के यहां 12 वर्ष तक नौकरी करने लगे।
एक दिन सेठानी नीचे बैठ के राख से हाथ धोने लगी तव श्री गणेश जी महाराज ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और हाथ को मरोड़ कर राख छिनली और मिट्टी से हाथ धुलवा दिए। सेठानी सेठ जी से बोली कि यह कैसा नौकर रखा है इसने मेरे हाथ से राख फिकबाकर मिट्टी से हाथ धुला दिए सेठ जी ने गणेश जी को बुलाया और बोले क्यों रे गणेशीया तुने सेठानी का हाथ क्यों मरोड़ा तव ही श्री गणेश जी महाराज ने कहा कि मैने तो इन्हें सीख दी कि राख से हाथ नही धोया करते है राख से भी कभी हाथ शुद्ध हुए हैं क्या।
राख से हाथ धोने से घर की रिध्दी-शिध्दि चली जाती है और मिट्टी से हाथ धोने से घर मे रिध्दी-शिध्दी आती है।
सेठ जी सेठानी से कहने लगे कि गणेशीया बात तो सही कह रहा है।

कुछ दिनों बाद सेठ-सेठानी कुम्भ के मेले में नहाने गए तो उन्होंने गणेशीया को भी साथ ले गए और सेठ जी बोले कि जा गणेशीया सेठानी को नहाने ले जा सेठानी किनारे पर बैठ कर लौटे से नहाने लगी यह देख कर गणेश जी ने  हाथ पकडा और आगे नहलाने ले गये।
नहाने के बाद जब घर आये तो सेठानी ने सेठ जी से कहा कि ये गणेशीया ने मेरा हाथ पकड़ कर आदमियों के बीच मे से मुझे ले गया और आगे नहलाकर ले आया सेठ जी ने गणेशीया से बोला कि क्यो रे ये सब क्या है तब गणेश जी ने कहा कि किनारे पर बैठ कर लौटे से कौन नाहता है इसीलिए मेने सेठानी जी को आगे नहलाने लेकर गया जिससे अगले जन्म में अच्छा राजपाठ मिलता है सेठ जी ने सोचा कि यह गणेशीया बात तो सही कह रहा है।

Budhwar vrat katha

एक बार सेठ जी हब्रन करबा रहे थे तो उन्होंने गणेशीया को बोला कि जा सेठानी को बुलाला तो गणेश जी ने देखा कि सेठानी ने काले रंग के वस्त्र पहने है तो गणेश जी ने वह वस्त्र बदलने को कहा तो सेठानी को गुस्सा आगया और वह कमरे में ही रही तो सेठ जी ने सोचा कि सेठानी अभी तक नही आई तो वह खुद गए वहा सेठानी ने सेठ  से कहा कि मुझे यह गणेशीया हर बार टोंकता है अब बोलता हैं कि काले वस्त्र क्यो पहने है सेठ जी ने गणेशीया को बुलाया तो गणेशीया ने कहा कि हब्रन में कोई काले कपड़े नही पहनता है और शुभ कार्य मे काले वस्त्र नही पहनते हैं इसीलिए मैंने सेठानी को लाल रंग के वस्त्र पहनने को कहा सेठ जी ने कहा अरे गणेशीया तू तो बहुत अच्छी और सही बात करता हैं।

एक दिन सेठ जी पूजा कर रहे थे तो सेठ जी गणेश जी की  मूर्ति लाना भूल गये तो उन्होंने गणेशीया को कहा कि जा गणेश जी की मूर्ति ले आ तो गणेशीया बोलै की मूर्ति की क्या जरूरत है मैं ही पूजा में गणेश जी के स्थान पर बैठ जाता हूं इतना सुनते ही सेठ जी को बहुत गुस्सा आया और बोले कि ये क्या बोल रहा है गणेश जी बोलै में सच बोल रहा हु इतना कहते ही वह अपने असली रूप में आगये सेठ-सेठानी यह देख कर बहुत खुश हुए और उन्होंने गणेश जी की वंदना की और गणेश जी अंतर-ध्यान हो गए।
रात में सेठ सेठानी बात कर रहे थे की हमने गणेश जी से नौकर की तरह काम करवाया हमे पाप लगेगा इतना कहकर वह सो गए रात को सेठ सेठानी के स्वपन में श्री गणेश जी आये और बोले कि मेरे हाथ तुम्हारे खेत मे अनाज के बारह दाने टूट गए थे इसीलिए मैंने 12 वर्ष तक तुम्हारे यहा नौकरी की तुम्हे कोई दोष नही लगेगा तुम्हारा कल्याण हो।

बुधवार व्रत कथा का महत्व :-

जिस दिन सेठ जी पूजन कर रहे थे उस दिन बुधवार था तब से  बुधवार के दिन गणेश जी का व्रत रखते हैं और जो कोई भी बुधवार के दिन  गणेश जी का व्रत रखते हैं  गणेश जी  उन सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं  और  उन्हें बुद्धि प्रदान करते हैं ।

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