शनि देव की वक्र दृष्टि भगवान शिव पर। shanidev ki vakradrashti bhagvan shiv par.

शनि देव की वक्र दृष्टि भगवान शिव पर।

कैसे भगवान शिव भी शनिदेव की वक्र दृष्टि से नहीं बच पाए।


शनि देव कर्मफल दाता है वे सभी मनुष्य, जीव को और देवी देवताओं को अपने कर्मों के अनुसार फल देते हैं वह पृथ्वीलोक, स्वर्ग लोक के सभी देवी देवता मनुष्य प्राणी के कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं और उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जिसके जैसे कर्म उनको वैसा फल देते हैं भगवान शिव ने ही उनका नाम कर्म फल दाता रखा  है।

कर्मफल दाता शनिदेव :-

शनि देव के गुरु भगवान शिव है जब एक बार संध्या के समय शनिदेव अपने गुरु भगवान शिव के दर्शन करने गए जहां पर उन्होंने भगवान शिव को कहा कि हे प्रभु कल प्रातः काल से मेरी वक्र दृष्टि आप पर रहेगी जिससे भगवान शिव चिंतित हो गए और कहां की है शनि देव कब तक मेरे ऊपर आप की वक्र दृष्टि रहेगी तब शनिदेव ने कहा कि  प्रभु कल सवा पहर तक आप पर मेरी वक्र दृष्टि रहेगी इतना कहकर शनिदेव वापस लौट गए परंतु भगवान शिव शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए उपाय सोचने लगे तब भगवान आकाश में भ्रमण कर रहे थे, तब उनकी दृष्टि हाथी पर पड़ी तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना हाथी का रूप लेकर शनि देव की दृष्टि से बचा जाए, जिससे शनि की दृष्टि मुझ पर नहीं पड़ेगी,

ऐसा सोचकर भगवान शिव ने एक हाथी का रूप लिया और शनिदेव की वक्र दृष्टि से  बचने के लिए  सवा पहर तक हाथी के रूप में रहे और वनों में विचरण करते रहे सूर्य की तेज धूप उन को प्रभावित कर रही थी जब सभा पहर बीतने के बाद संध्या हुई तब भगवान शिव ने सोचा कि अब कैलाश पर्वत पर चला जाता हूं सवा पहर बीत चुका है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर लोटे वहां पर पहले से ही शनिदेव भगवान का इंतजार कर रहे थे, भगवान शिव ने जब शनिदव को देखा तो उनसे कहा कि देखो शनि देव मुझ पर आपकी वक्र दृष्टि का कोई प्रभाव नहीं पड़ा तब शनिदेव मुस्कुराए और कहा कि नहीं प्रभु वक्र दृष्टि  मुझे वरदान में आपसे ही  प्राप्त हुई है। जिससे कोई भी मनुष्य देवता जीव जंतु नहीं बच सकते और स्वयं आप भी मेरी दृष्टि से नहीं बच पाए, भगवान शिव कहने लगे कि नहीं शनिदेव आप की वक्र दृष्टि का मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तब शनिदेव ने कहा कि हे भगवान मेरी वक्र दृष्टि के कारण ही आपको कल प्रातः से सवा बहर तक हाथी बनकर वनों में विचरण करना पड़ा तब भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न हुए और शनिदेव को गले लगाया और कहा कि शनिदेव आप ठीक कह रहे हो आप की वक्र दृष्टि से कोई नहीं बच सकता स्वयं में भी आप की वक्र दृष्टि से नहीं बच पाया।


Post a Comment (0)
Previous Post Next Post